0 भाग
278 बार पढा गया
7 पसंद किया गया
भैया उठो , सुबह का ही मुहूर्त है। बोलते हुए रव्या अपने भाई का चादर खींचने लगी । रव्या का भाई अभी चिढ़ते हुए " क्या सिर दर्द है , सुबह ...