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कविता ःखुशियों का ठिकाना ★★★★★★★★★★★★ है वह जगह गुम.. जहां से झरती थीं खुशियाँ अब वहां पतझड़ है हवाएँ भी उबतीं हुईं सी.. फिजां आज खामोश है मायूस हैं सारी निगाहें ...