1 भाग
200 बार पढा गया
4 पसंद किया गया
आसमाॅ॑ में लिखे वो बारिशों के ख़त, आज भी मेरे मन को भिगोते हैं, सावन के डाकिए भी अक्सर, जिन्हें बाॅ॑च-बाॅ॑च कर रोते हैं। बरसा था जब आसमानों से पानी, भीगी ...