आया तेरे द्वार मां!

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भटका हुआ हूं मैं, मां.. उलझी राहों का मुसाफिर खोया हुआ हूं मैं, मां.. जाने मेरा मन खोया कहां फिर! तेरे सिवा अब कौन है मेरा देख के दुख सब मौन ...

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