1 भाग
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जिन्दगी.... धीरे - धीरे ढलती जा रही जिन्दगी। बरफ जैसी पिघलती जा रही जिन्दगी।। बेशुमार दौलत समेट कर, रोजाना, महाकाल से मिलती जा रही जिन्दगी।। कोई नहीं मेरा ,जानता है , ...