अल्फ़ाज़-ए-नीरज

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.             अल्फ़ाज़-ए-नीरज एक तेरे ही कानों में मेरी आवाज से विष घुला है  आज भी कइयों की चाहत अल्फ़ाज़-ए-नीरज है  एक तेरी ही आँखों मे चुभती ...

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