102 भाग
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*दुखद दृश्य* दुख होता है मित्र जब,करता अस्वीकार। हो कर लापरवाह अति,करता नहीं विचार।। कल तक सुंदर मित्र था, आज हुआ अंजान। रौंदा दिल को इस कदर,आज हुआ बेजान।। प्राण निकलने ...