विपात्र. : गजानन माधव मुक्तिबोध

24 भाग

19 बार पढा गया

2 पसंद किया गया

कि इतने में किसी पेड़ से एक पत्ता टूट कर मेरे शरीर पर गिरा। मैंने अनजाने ही उसे उठा कर देखा और उसके घने हरे रंग में टहलती हुई नसों को ...

अध्याय

×