विपात्र. : गजानन माधव मुक्तिबोध

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चौंकते हुए मैंने जवाब दिया, 'कितना बुरा विचार है।' उसने कहा, 'लेकिन कितना मौजूँ है।' हम तो सा'ब, खयालों की मौजूनियत देखते हैं।' मैं मुसकरा उठा। किसी की हत्या को या ...

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