विपात्र. : गजानन माधव मुक्तिबोध

24 भाग

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वह दो साल के शिशु की ठठरी थी, जिसके सारे बदन पर सिलवटें पड़ी हुई थीं और उसके सलवट-भरे बाल-मुख पर वेदना की चीख निःशब्द हो कर जड़ हो उठी थी। ...

अध्याय

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