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प्रतियोगिता- विषय- स्वैच्छिक तेरी चाहत के क़र्ज़े बहुत हैं- शिकायतों की फेहरिस्त लम्बी बहुत है तेरी चाहत के अहले कर्जे बहुत हैं जिधर तक नज़र पड़ी इस जमीं पे देखा दाव-पेचों ...