राग दरबारी (उपन्यास) : श्रीलाल शुक्ल

17 भाग

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अफ़सर के चले जाने के बाद ड्राइवर और चपरासी रंगनाथ के पास आये। ड्राइवर ने कहा, "ज़रा दो रुपये तो निकालना जी।" उसने मुंह फेरकर कड़ाई से कहा, "क्या मतलब है? ...

अध्याय

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