बहरूपिया संन्यासी (उपन्यास) : मणि भूषण मिश्र ‘गूँजो’

21 भाग

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उठते-बैठते- सोते- जागते फणीश्वरनाथ को बस वही चेहरा दिखाई पड़ता है । उसी अलौकिक सौंदर्य के बारे में फणीश्वर नाथ सोचते रहते हैं, हमेशा ! ... एक- एक क्षण उसी मृगनैनी ...

अध्याय

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