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इस जीवन का क्या ठिकाना क्यों व्यर्थ पड़े हो तुम उलझन में कुछ भी साथ नहीं तुम्हारे जायेगा इस जीवन का क्या ठिकाना, कल मरूस्थल सा वीराना हो जायेगा महल अटारी, ...