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दैनिक प्रतियोगिता हेतु कविता विषय शब्द**भोर की किरण** हुई है भोर अब, देखा जो मैने खिड़की से बाहर पत्तों पर गिरी एक ओस की बूंद, ऊषा की किरण संग आए दिनकर ...