कविता चली गांव की ओर

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कविता चली गांव की ओर ********************* कविता चली गांव की ओर जिसका कोई ओर ना छोर खेतों में पशु चरते हर ओर पेड़ों में पंछी करते हैं शोर कारे बदरा छाए ...

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