1 भाग
238 बार पढा गया
11 पसंद किया गया
पृथ्वी का दुःख सन्ताप हरें नदियों तालाबों को भरकर हमने ऊँचे महल बनाए l महलों की सुंदर नक्काशी देख देख हृदय बहुत इतराए l पेड़ों को भी हमने काटा वन्य ...