एक आह सी उठती

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नमन मंच मेरी लेखनी,    एक आह सी उठती  रोज रोज एक आह सी उठती ए जिन्दगी । बस जीने के लिए क्या और कितनी  करनी पड़ती जद्दोहद।। जमीर को रखने ...

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