ग़ज़ल 2

1 भाग

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हकीक़त भी यहीं है... हकीक़त भी यहीं है और है फ़साना भी, मुश्किल है किसी का साथ निभाना भी। यूँ ही नहीं कुछ रिश्ते पाक होते हैं, पल में रूठ जाना ...

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