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*हृदय गर्भ में ....* हृदय गर्भ में प्रीति का, मत पूछो कुछ हाल। कौन समझ पाया उसे, पकड़ न पाया चाल।। यह जगती मतिमंद अति, क्या जानेगी प्रीति। करते सब उपहास ...