1 भाग
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नमन मंच भाव की बँधनवार इतराती रहूँ मैं इतरति रहूँ मैं मन ही मन। मोरे घनश्याम दिया सुन्दर जहाॅं।। भाग्यशाली कोउ न दुजा दुनिया मेरे समान।। घर बहार ...