144 भाग
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स्वर्णमुखी जग को सुंदर चमन बनाओ। खिले सुगन्धित पुष्प यहाँ पर। भारी हो मानवता सब पर। करो सुवासित नित गमकाओ। कलुषित पुष्पों को उखाड़ दो। हों गुलाब-चंपा की कलियाँ। साफ-स्वच्छ हों ...