स्वर्णमुखी

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स्वर्णमुखी प्रीति नीति पर जो चलता है। सब के दिल पर छा जाता है। सब के मन में आ जाता है। प्रीति रसामृत जो चखता है। सुंदर चिंतन का है वासी। ...

अध्याय

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