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कविता ःचल मुसाफिर ******************** चल मुसाफिर... चलना है बहुत दूर... अनजान राहों पर,अनजान सफर पर... इस धरा से बहुत दूर.. हमारी धरती है इक परीक्षा भवन जैसी हम जहां के परीक्षार्थी.. ...