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विषय-शराबी निर्मला छंद शीर्षक-नशा अभिशाप नशा करना है अभिशाप, रहो दूर सर्वथा। करे जीवन का वह नाश,हिय में होती व्यथा।। करें घर परिवार बर्बाद, रोगो को ढालता। सदा होती विसरण मृत्यु, ...