58 भाग
49 बार पढा गया
1 पसंद किया गया
इसके बाद के दो श्लोक गीता की प्रशंसा के लिए हैं। लोग इसमें प्रवृत्ति करें इसीलिए कह दिया है कि पठन-पाठन भी ज्ञानयज्ञ है, जिससे भगवान या आत्मा की पूजा ही ...