58 भाग
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यहाँ पहले श्लोक में आत्मानंद का ही वर्णन है। इसीलिए उसके वास्ते किसी और बात की जरूरत नहीं बताई गई है। केवल अपनी बुद्धि को ही निर्मल और स्वच्छ करने की ...