चौथा अध्याय

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अब रहा बीच का 21वाँ श्लोक। इसमें विकर्म को ही अकर्म या कर्म-त्याग बन जाने की बात कही गई है। क्योंकि किल्विष या पाप का प्रश्न तो वहीं पैदा होता है ...

अध्याय

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