तीसरा अध्याय

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इसके बाद पाँचवें श्लोक में तो यह बात भी खत्म कर दी गई है कि खामख्वाह यों ही कर्मों का त्याग संभव है। चौथे उत्तरार्द्ध में यह बात मानकर ही, कि ...

अध्याय

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