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अपने इस वाचाल कवि को इस बार अपने इस वाचाल कवि को नीरव कर दो। उसकी हृदय-बाँसुरी छीनकर स्वयं गहन सुर भर दो। निशीथ रात्रि के निविड़ सुर में तान वह ...