स्त्रीविशेष लघुकथाएँ---(एक हादसा ऐसा भी)

62 भाग

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अरी ओ गायत्री बहु!!  जल्दी से किवार खोलो।।        सियाजानकी  अपनी देवरानी के घर का दरवाज़ा खटखटाते हुए बोली।।      अरे,का हुआ बड़की जीजी,का बात हो गई, काहे ...

अध्याय

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