1 भाग
96 बार पढा गया
4 पसंद किया गया
कयामत #न ढाओ -----------------------०●०0०● कैसी थी रात अज़ाब की , क्या घड़ी आई है कयामत की , कोई जीवन का मोल न समझे , क्या तोड़ मिले इस आफत की । ...