स्वर्णमुखी

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स्वर्णमुखी आता है वसंत भारत में। इस धरती से उसे प्रीति है। गाता आता प्रेम गीति है। भारत सदा खड़ा स्वागत में। आदरणीय वसंत मदनमय। अति मनमोहक प्रकृति-पुरुषमय। हैं ऋतुराज सुघर ...

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