स्वर्णमुखी

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स्वर्णमुखी जिसकी रसना से वचानामृत। सदा टपकता वह चंदा है। महामना मोहक वंदा है। लिखता गाता पढ़ता संस्कृतः। प्रेम रसामृत जो बरसाता। हर आँगन में वही घूमता। सबके दिल को वही ...

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