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नलिनी और पराशर की कार जैसे गाँव की हवेली के सामने रूकी शिवगामी जी ने अपने नौकर रामचरण को पुकारा.... " अरे, ओ..रामचरण ! जल्दी आ देख दरवाज़े पर कार आकर ...