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*लेखनी काव्य प्रतियोगिता* *14 मार्च,2023* *अचेतन मन (पंचचामर छंद)* नहीं सचेत मन जहां वहीं अचेत रूप है। अचेत मन बहुत गहन अनंत सिंधु कूप है।। सजग जिसे नकारता वही जमा अचेत ...