मेरे अवगुण हर लो ना भगवन

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नमन मंच मेरी लेखनी,  भोर वंदना 24/2/23 स्वरचित मेरे अवगुण हर लो ना भगवन पाया मानुष जन्म ।  हजार अवगुण से भरा ये तन मन।।  विकार इसमे अहं और मम का।  ...

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