भगतसिंह से शूर

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प्रतियोगिता हेतु  दोहा मातृभूमि को दे गए, हस कर अपनी जान। विद्यावति के लाडले, भगत हमारी शान।। वन्देमातरम का किया, हरदम ही जयघोष। वीर पुरुष ने कम नहीं , किया कभी ...

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