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विषय-सांझ शीर्षक-ढलती सांझ देती सीख ढलती सांझ सिखाती कुछ बात, हे मनुष्य! मन से ना हार। जमीन पर कर आराम, आसमान को अब निहार। गगन की देख राह, चांद तारों से ...