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कविता ःभीगी पलकें ***************** पलकें हैं भीगी हुई ख्वाहिशों का समुंदर है अरमानों के सैलाब फिसलती रेतों सी उम्मीदें आज राख बनती जिंदगी है तपती मैं आकंठ.. भीगी पलकों से तेरी ...