जवानी की मौत

41 भाग

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पण्डित जी ने कहा—नहीं-नहीं दो। मैं उबटन नहीं मलवाऊँगा। लाओ धोती दो, नहा आऊँ। पूर्णा—वाह उबटन मलवावैंगे। आज की तो यह रीति ही है। आके बैठ जाव। पण्डित—नहीं, प्यारी, इसी वक्त ...

अध्याय

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