41 भाग
56 बार पढा गया
0 पसंद किया गया
पण्डित जी ने कहा—नहीं-नहीं दो। मैं उबटन नहीं मलवाऊँगा। लाओ धोती दो, नहा आऊँ। पूर्णा—वाह उबटन मलवावैंगे। आज की तो यह रीति ही है। आके बैठ जाव। पण्डित—नहीं, प्यारी, इसी वक्त ...