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झूठे मददगार बाबू अमृतराय रात भर करवटें बदलते रहे। ज्यों-ज्यों उन्होने अपने नये इरादों और नई उमंगो पर विचार किया त्यों-त्यों उनका दिल और भी दृढ़ होता गया और भोर होते-होते ...