144 भाग
264 बार पढा गया
9 पसंद किया गया
स्वर्णमुखी ज्ञानसिंधु में जो भी डूबा। ज्ञान बूँद जिसको अति प्यारा। बना ज्ञान-नीर संवाहक। लगा डूबने कभी न ऊबा। ज्ञान ढूढ़ते जो चलता है। कण-कण के चिंतन में बहता। जन-जन से ...