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स्वर्णमुखी छंद सदा रमण कर अपने अंदर। अंतस में असली सच्चाई। मन की करना सतत दवाई। मणि-माणिक बहु रत्न समंदर। अंतर्मन को सदा सँवारो। मन को शिक्षित करते रहना। आत्मदेश की ...