अभिनव प्रीति

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अभिनव प्रीति         (स्वर्णमुखी छंद) नित नव नवल प्रीति जब जागी। प्रिय के मुख्यद्वार पर  आयी। अपने दिल की बात बतायी। अति प्रसन्न तब प्रिय बड़भागी। प्रीति खुशी से झूम रही है। ...

अध्याय

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