सूरदास जी के पद

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ऊधौ मन माने की बात दाख छुहारा छांडि अमृत फल विषकीरा विष खात॥ ज्यौं चकोर को देइ कपूर कोउ तजि अंगार अघात मधुप करत घर कोरि काठ मैं बंधत कमल के ...

अध्याय

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