स्वर्णमुखी छंद

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स्वर्णमुखी छंद प्रिय समाज का मेला होगा। दिल से दिल की बात सदा हो। प्रीति परस्पर नित्य वदा हो। मधु भावों का खेला होगा। नूतन वर्ष तभी आयेगा। जब जीवन में ...

अध्याय

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