सूरदास जी के पद

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मैया कबहुं बढैगी चोटी किती बेर मोहि दूध पियत भइ यह अजहूं है छोटी॥ तू जो कहति बल की बेनी ज्यों ह्वै है लांबी मोटी काढत गुहत न्हवावत जैहै नागिन-सी भुई ...

अध्याय

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