सूरदास जी के पद

27 भाग

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बिनु गोपाल बैरिन भई कुंजैं तब ये लता लगति अति सीतल¸ अब भई विषम ज्वाल की पुंजैं।। बृथा बहति जमुना¸ खग बोलत¸ बृथा कमल फूलैं अलि गुंजैं। पवन¸ पानी¸ धनसार¸ संजीवनि,  ...

अध्याय

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