सूरदास जी के पद

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 प्रभू मोरे अवगुण चित न धरो समदरसी है नाम तिहारो चाहो तो पार करो।।  एक लोहा पूजा में राखत एक रहत ब्याध घर परो पारस गुण अवगुण नहिं चितवत कंचन करत ...

अध्याय

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